
देहरादून। अंकिता भंडारी हत्याकांड के बाद से चर्चा में आए पुलिस पटवारी सिस्टम को अब उत्तराखंड सरकार खत्म करने का प्लान बना रही है। इस व्यवस्था के खत्म होने के बाद हत्या, रेप जैसे जघन्य अपराधों की जांच नियमित पुलिस करेगी। अपराध से जुड़े सभी मामलों की फाइल तुरंत पुलिस को दी जाएगी और अन्य अपराधों को भी चरणबद्ध तरीके से पुलिस के पास भेजा जाएगा।
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैबिनेट मीटिंग का ये ब्योरा पेश किया। राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायलय से कहा कि वो पुलिस पटवारी सिस्टम को चरणबद्ध तरीके से खत्म करेगी और उत्तराखंड हाईकोर्ट के 2018 के फैसले को सरकार लागू करेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अब इस मामले की सुनवाई बंद कर दी है। गौरतलब है कि राज्य ने पटवारी सिस्टम अंग्रेजी हुकूमत के समय से चला आ रहा है।
उत्तराखंड सरकार ने कैबिनेट में किए गए हालिया फैसले को शपथपत्र के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया है। सरकार ने अपने शपथ पत्र में कहा कि वह नई व्यवस्था के तहत नए थाने खोलने जा रही है और साल 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश और निर्देशों को लागू करने जा रही है। बता दें कि साल 2018 में हाईकोर्ट ने प्रदेश से पटवारी व्यवस्था खत्म करने को कहा था।
ये था हाईकोर्ट का निर्णय?
गौरतलब है कि 12 जनवरी 2018 को नैनीताल हाईकोर्ट की डबल बेंच ने राज्य में पटवारी पुलिसिंग को खत्म करने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। दरअसल, हाईकोर्ट के तत्कालीन वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस आलोक सिंह की बेंच ने दहेज हत्या से जुड़े एक केस में सुनवाई के दौरान ये अहम निर्णय सुनाया था। खंडपीठ ने कहा था कि पटवारियों की योग्यता गंभीर अपराधों की जांच की नहीं होती और न उन्हें सीआरपीसी की ही अधिक जानकारी होती है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे में पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की संभावना काफी कम हो जाती है
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पूरे राज्य में छह महीने के भीतर रेगुलर पुलिस की व्यवस्था लागू की जाये , लेकिन 2022 खत्म होने तक सरकार ने इस फैसले को लागू नहीं किया है लेकिन अब अंकिता हत्याकांड में पटवारियों की संदिग्ध भूमिका से सरकार पर दबाव बढ़ा है और अब सरकार इस निर्णय को लागू करने की बात कह रही है।
हाईकोर्ट ने 2018 में अपने निर्णय में कहा था कि…
1. पटवारी गंभीर अपराधों की जांच नहीं करेंगे।
2. केवल राजस्व से जुड़ा काम ही करेंगे।
3. छह महीने में राजस्व पुलिस से अपराधों की जांच कराने की व्यवस्था समाप्त करे राज्य सरकार
4. छह महीने के अंदर सभी जिलों में रेगुलर पुलिस के नए थाने खोले सरकार
5. छह महीने बाद पटवारियों की FIR, जांच और चालान मान्य नहीं होंगे।
6. राज्य में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट खोले सरकार
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