Uttarakhand में झरने और छोटी नदियों पर दिखा गर्मी का असर, गहराने लगा है जल संकट

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देहरादून। उत्तराखंड में इस बार गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। तपती गर्मी की वजह से लोगों को काफी परेशानी तो हुई ही साथ ही अब पानी का संकट भी खड़ा हो गया है। प्रदेश घर के लगभग ढाई हज़ार प्राकृतिक जल स्रोत सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं। एक सर्वे के अनुसार देहरादून के कई इलाकों में 90 फीसदी पानी की कमी हो गई है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अगर ऐसी गर्मी पड़ती रही तो देहरादून में आने वाले दिनों में जल स्रोतों के सूखने का आंकड़ा और अधिक बढ़ जायेगा जिससे जल संकट पैदा हो सकता है।

Springs are drying up in Uttarakhand

43 जल स्रोत सूखे

जल संस्थान के एक अधिकारी की माने तो इस साल पहाड़ पर भी भीषण गर्मी पड़ रही है।इसका नतीजा यह है कि जहां से 30 एमएलडी पानी मिलता था। वहां से इस समय 7 से 9 एमएलडी पानी ही प्राप्त हो रहा है। बता दें कि दून इलाके में 142 जल स्रोत हैं जिनमें से 17 जल स्रोत 50 फीसदी तक सूख चुके हैं और 62 जल स्रोत 60 से 75 प्रतिशत तक सूख गए हैं।

वहीं इन 142 जल स्रोतों में 43 ऐसे हैं जो कि 75 से 100 फीसदी तक सूख गए हैं। ऐसे में जल संकट का अनुमान आप खुद ही लगा सकते हैं। वहीं राज्यभर के आंकड़े भी डरा देने वाले हैं। राज्य में 732 जल स्रोत 50 फीसदी तक सूख गए हैं जबकि 1290 जल स्रोत 60 से 75 फीसदी तक सूख गए हैं। वहीं 500 ऐसे जल स्रोत हैं जो कि 75 से 100 फीसदी तक सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैं।

विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में जिन स्रोतों में पानी की कमी आई है, उनमें खासकर गधेरे (छोटी नदी) और स्प्रिंग (झरना) शामिल हैं। कहने का मतलब ये हैं कि गधेरा और स्प्रिंग आधारित पेयजल योजनाओं के स्रोतों में बड़ा संकट आ चुका है। बता दें कि दून का ऊपरी इलाका ऐसा है जहां अधिकतर पानी की आपूर्ति प्राकृतिक स्रोतों से होती है। वहीं कई इलाके ऐसे भी हैं जहां 90 फीसदी तक पानी की कमी आ गई है।

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