Rains In Uttarakhand: बारिश में बह गए पुल तो बनाने वालों पर उठने लगे सवाल, जानें क्या कह रहे जिम्मेदार

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देहरादून। बीते महीने भर से अधिक समय से उत्तराखंड में हो रही बारिश ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया। कई जगह सड़कें और पल तक बह गए। इसी कड़ी में राजधानी में भी हाल ही हुई भारी बारिश से सौंग नदी पर बने पुल की एप्रोच रोड ढह गई। इसके ढहते ही कई सवाल खड़े हो गए हैं। सवाल उस तकनीक को लेकर भी उठाये जा रहे हैं जो डिज़ाइन तो पचास सालों के आंकलन पर करती है, लेकिन बारिश का एक सीजन भी नहीं झेल पाती हैं I आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि उत्तराखंड में ऐसा पहले भी होता रहा है।

दरअसल बीते शनिवार को देहरादून कि एक इलाके में बादल फटने और नदियों के उफान पर आने से सौंग नदी पर बने पुल की एप्रोच रोड पानी के साथ बह गई। बताया जाता है कि ये पुल साल 1999 में पचास सालों के आंकलन को ध्यान में रखकर बनाया गया था, लेकिन 25 साल भी नहीं टिक पाया।

आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। अकेले राजधानी देहरादून में ही इससे पहले भी इस तरह के कई हादसे हो चुके हैं, जो निर्माण के ऐसे दावों पर उंगली उठाते रहे हैं। ऐसी इंजीनियरिंग पर अब जनप्रतिनिधि भी सवाल उठाने लगे हैं। बीजेपी विधायक खजानदास कहते हैं कि यह बेहद गंभीर बात है। ‘पचास साल के लिए डिज़ाइन किया गया कोई पुल आखिर कैसे बरसात में बह जाता है या उसमें दरार आ जाती है?’

इंजीनियरों ने सिंचाई विभाग पर फोड़ा ठीकरा

दूसरी तरफ विभागीय अधिकारी इसके लिए इंजीनियरिंग फॉल्ट से साफ़ इनकार कर रहे हैं। वे इसके लिए सिंचाई विभाग को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर का कहना है कि बादल फटने और उससे पैदा होने वाले पानी और मलबे के वॉल्यूम का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता। वहीं पीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर कहते हैं कि नदियों से मलबा न हटाए जाने की वजह से रिवर बेड लेवल बढ़ जाता है जिससे नदी अपना रुख बदल लेती है और इस तरह के हादसे होते हैं।

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