Good News: दो घंटे कम हो जाएगी कर्णप्रयाग से हल्द्वानी की दूरी, जानें किन्हें मिलेगा फायदा

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार केंद्र की मदद से रोड कनेक्टिविटी में सुधार के माध्यम से यात्रा की दूरी और समय कम करने का अभियान चला रही है। इसके तहत दिल्ली-देहरादून, देहरादून-हल्द्वानी के बाद यह तीसरा प्रोजेक्ट है, जिस पर काम शुरू होने जा रहा है। दरअसल उत्तराखंड में गढ़वाल को कुमाऊं से जोड़ने वाले कर्णप्रयाग-हल्द्वानी मोटर मार्ग के चौड़ीकरण को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने हरी झंडी दे दी है। 235 किमी लंबे इस मार्ग को टू लेन पेव्ड शोल्डर के साथ विकसित किया जाना है। इस पर 2115 करोड़ रुपये के खर्चे का अनुमान लगाया गया है। मार्ग के चौड़ीकरण के बाद कर्णप्रयाग से हल्द्वानी के मध्य की दूरी लगभग दो घंटा कम हो जाएगी।

gharwal expressway

बताया जा रहा है कि दिल्ली-देहरादून, देहरादून-हल्द्वानी के बाद यह तीसरा प्रोजेक्ट है, जिस पर जल्द ही काम शुरू होगा। इसके तहत राष्ट्रीय राजमार्ग-109 को चार फेज में चौड़ा किया जाएगा। बता दें कि कुल 235 किमी सड़क का 164 किमी हिस्सा गढ़वाल और 171 किमी हिस्सा कुमाऊं क्षेत्र में पड़ता है। पहले फेज में किलो मीटर शून्य से 35 ज्योलीकोट से खैरना तक निर्माण से पूर्व डबल लेन विद पेव्ड शोल्डर (डीएलपीएस) की कंसलटेंसी का कार्य गतिमान है। इसके साथ ही वन भूमि हस्तांतरण की भी कार्रवाई की जाएगी।

दूसरे फेज में किमी 35 से 45 खैरना से काकड़ीघाट दस किमी सड़क के डबल लेन का काम पूरा हो चुका है। तीसरे फेज में किमी 45 से 55.560 काकड़ीघाट से क्वारब तक डीएलपीएस का कार्य गतिमान है, जो अगले वर्ष जून माह तक पूरा कर लिया जायेगा। चौथे फेज में किमी 55.560 से किलो मीटर 235 क्वारब से कर्णप्रयाग तक डीएलपीएस का कंसलटेंसी का कार्य गतिमा पर है। मार्ग के इस हिस्से में द्वाराहाट और पांडुवाखाल में दो-दो किमी लंबी टनल भी प्रस्तावित हैं। इनकी डीपीआर 31 अक्तूबर तक जमा कर दी जाएगी।

लोक निर्माण विभाग का कहना है कि इस सड़क के चौड़ीकरण के बाद नैनीताल-हल्द्वानी के पास ज्योलीकोट, भवाली, खैरना, क्वारब, अल्मोड़ा, रानीखेत, द्वारहाट, चौखुटिया, पांडवाखाल, गैरसैंण और कर्णप्रयाग के लोगों का आवागमन सुगम हो जायेगा। कर्णप्रयाग-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग-109 पर पर किलो मीटर 38 खैरना के पास सिरदर्द बना क्रॉनिक भूस्खलन जोन इस परियोजना में बाईपास हो जाएगा। बता दें कि यहां मानसून सीजन में भूस्खलन होने से अक्सर आवागमन बाधित रहता है।

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