अल्मोड़ा। उत्तराखंड के इस शहर में मौजूद ऐतिहासिक जेल स्वतंत्रता आंदोलन की साक्षी है। अल्मोड़ा में स्थित इस जेल को 1872 में अंग्रेजों ने बनवाया था। अगस्त क्रांति की गवाह रही इस जेल में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, हरगोविन्द पंत, विक्टर मोहरन जोशी, देवी दत्त पंत, खान अब्दुल गफ्फार खां समेत सैकड़ों आंदोलनकारियों ने इस जेल में रहकर आजादी की लड़ाई लड़ी है। उत्तराखंड के उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद और पहले भी इसे पर्यटकों के लिए खोलने की मांग होती रही है। इसको लेकर योजना भी बना ली गई है लेकिन ये योजना कई दशकों से फाइलों में ही दबी पड़ी है।
आपको बता दें कि अल्मोड़ा आजादी की लड़ाई में आंदोलनकारियों का मुख्य केन्द्र रहा है। यहां की जेल में प्रमुख आंदोलनकारियों को अंग्रेजों द्वारा बंद किया गया था। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू भी इस जेल में दो बार बंद रहे। पंडित नेहरू ने अपनी पुस्तक मेरी आत्मकथा के कुछ अंश भी इसी जेल में लिखे थे। इस जेल में पं. नेहरू की चारपाई, कुर्सी, चरखा, खाने के बर्तन जेल के नेहरू वार्ड में आज भी सहेजे रखे हुए हैं।
इस जेल के अधीक्षक जयंत पांगती ने बताया कि ये जेल ऐतिहासिक है। आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों ने कई नेताओं और क्रांतिकारियों को इसी जेल में बंद किया था। बता दें कि यहां हर वर्ष 9 अगस्त को अगस्त क्रांति के रूप में शहीदों को याद किया जाता है। इस मौके पर नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश जोशी का ने कहा कि जेल में बने नेहरू वार्ड को पर्यटकों के लिए सरकार को खोलना चाहिए। अल्मोड़ा आने वाले पर्यटक भी इस ऐतिहासिक जेल के देख सकें और नेहरू वार्ड का भी भ्रमण कर सकें।
बता दें कि यूपी से कट कर अलग राज्य बनने के बाद से ही अल्मोड़ा के नेहरू वार्ड को पर्यटकों के लिए खोलने की मांग समय-समय पर उठती रही लेकिन भाजपा और कांग्रेस के बारी-बारी से सत्ता में रहने की वजह से योजना सिर्फ फाइलों में ही इधर से उधर टहलती रहीऔर अभी तक अगस्त क्रांति की गवाह रहे जेल को पर्यटकों के लिए नही खोला जा सका।