विदेशी निवेशकों का मार्केट से उठ रहा भरोसा, भारतीय बाजार से निकालें इतने हज़ार करोड़

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नई दिल्ली । विश्व के कई देशों छाई अस्थिरता की वजह से बाजार बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। यूक्रेन-रूस युद्ध , श्रीलंका संकट, पाकिस्तान में सरकार पर संकट और अमेरिका के शीर्ष बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर बाजार पर साफ दिख रहा है। इस कारण भारतीय बाजार में विदेशी निवेशकों (Foreign Portfolio Investors-FPIs) में बिकवाली की होड़ मची हुई है। लोग अपना पैसा निकाल कर सुरक्षित विकल्पों में निवेश कर रहे हैं।

Foreign Investors

वैश्विक अस्थिरता का आलम यह है कि विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) ने मार्च में भारतीय इक्विटी बाजार से 41,000 करोड़ की निकासी की है। विशेषज्ञों ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के प्रवाह में निकट भविष्य में अस्थिर रहने की उम्मीद है, क्योंकि कच्चे तेल की कीमतों और महंगाई दर में वृद्धि हुई है।

आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने इक्विटी बाजार में एफपीआई ने 41,123 करोड़ के शुद्ध बिकवाली की थी। फरवरी में विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) की निकासी का यह आंकड़ा 35,592 करोड़ रुपये था,जनवरी में 33,303 करोड़ की शुद्ध निकासी से की गई। विदेशी निवेशक पिछले छह महीनों से इक्विटी से लगातार पैसा निकाल रहे हैं।

अक्टूबर 2021 और मार्च 2022 के बीच 1.48 लाख करोड़ रुपये की निकासी हो चुकी है। बाजार जानकार कहते हैं कि फेड की बदलती ब्याज दरों के चलते विदेशी निवेश पर विपरीत असर पड़ रहा है। फेड की ब्याज दरों के अलावा कच्चे तेल के दामों में उछाल, रूस-यूक्रेन संघर्ष आदि के चलते भी विदेशी निवेशकों का भरोसा टूट रहा है। बाजार जानकार का कहना है कि बैंकिंग और फाइनेंशियल सेवा क्षेत्र से बड़े पैमाने पर निकासी की मुख्य वजह भारत में एफपीआई एसेट्स का पोर्टफोलियो (Foreign Portfolio Investors-FPIs) निर्माण और क्षेत्र में शेयरों का उच्च मूल्यांकन है।

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