India-China Border पर बर्फबारी से तबाह हुए खेत, माइग्रेशन काल खत्म होने से पहले लौटने को मजबूर हुए किसान

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पिथौरागढ़। उत्तराखंड में ऊंचाई वाले इलाकों में समय से पहले हुई भारी बर्फबारी ने हिमालयी खेती को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। खेतों में खड़ी तैयार फसल कटाई से पहले हुई बर्फ से दब कर ख़राब हो गई है। यहां के 36 से अधिक गांवों में हिमालयी खेती करने वाले किसानों को इस बर्फबारी से अच्छा खासा नुकसान हुआ है। कई माइग्रेशन गांवों से किसान अब खेतों में बर्फ में दबी फसल को छोड़कर वापस लौटने को मजबूर हो गए हैं।

बता दें कि भारत- चीन सीमा से सटे पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी गांवों में धारचूला, मुनस्यारी के 36 से अधिक गांवों के सात हजार से ज्यादा किसान ग्रीष्मकालीन माइग्रेशन पर जाते हैं। वे आठ से 11 हजार फीट तक की ऊंचाई वाले गांवों में मई से अक्तूबर महीने से अंतिम सप्ताह तक रहकर खेती करते हैं लेकिन इस बार ये हिमालयी किसान माइग्रेशन काल समाप्त होने से पहले ही बर्फबारी से परेशान होकर वापस लौट रहे हैं।

ग्रामीणों ने बताया कि पहली बार उच्च हिमालयी कई माइग्रेशन गांवों में अब तक 3 से अधिक बार बर्फबारी हो चुकी है, जिससे काला जीारा, जम्बू, गदंराईन, पलती, आलू, डोलू, छीपी, मासी गुग्गुल की आदि की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। समय से पहले हुई बर्फबारी की वजह से खेत बर्फ से पटे हुए हैं। इन गांवों में तापमान भी एक डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। ऐसे में किसान कड़ाके की ठंड में खेतों में खड़ी फसल वहीं छोड़कर अपने गांवों की तरफ वापस लौटने लगे हैं।

15 नवंबर के बाद होती थी बर्फबारी

आपको बता दें कि माइग्रेशन गांवों में पहले नवंबर माह के बाद ही बर्फबारी शुरू होती थी लेकिन इस बार ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब माइग्रेशन काल में ही गांव में बर्फबारी होने लगी है जिससे खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो रही है। पहले ही हो रही बर्फबारी की वजह से फसल काटना अब संभव नहीं है।

इन गांवों में हिमालयी खेती

मिलम, लास्पा, बिल्जू, मर्तोली, तोला, रालम, बुर्फू, पांछू, गनघर, कुटी, नाबी, गुंजी, नपलच्यू, रोककोंग, दारमा, सीपू, मार्छा, दुग्तू, सौन, बालिंग, दांतू, गो, बोन, फिलम में खेती करने आते हैं किसान।

इन चीजों की होती है खेती

काला जीरा, जम्बू, गदंराईन, पलती, आलू, डोलू, सीपी, मासी गुग्गुल

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