गांव को आबाद रखने के लिए एकांकी जीवन बिता रहे बुजुर्ग दंपति, बताया-महीनों बाद दिखती है तीसरे इंसान की सूरत

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हल्द्वानी। उत्तराखंड में पहाड़ अब युवा पीढ़ी को कम रास आ रहे हैं। यही वजह है कि बहुत से लोग अपने गांव छोड़कर मैदानों में आ बसे है। इन लोगों को आज अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस की पहली बधाई हीरा बल्लभ कापड़ी और हरिप्रिया कापड़ी जैसे बुजुर्गों को देनी चाहिए क्योंकि युवा भले ही पहाड़ छोड़कर मैदान में आ बसे हैं लेकिन उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुंचे इन जैसे बुजुर्गों की जिद से ही आज भी पहाड़ के सैकड़ों गांवीं में रौनक है। एकांकी जीवन बिता रहे इन बुजुर्गों ने अपनी औलादों से दूरी बना ली लेकिन गांवों को वीरान नहीं होने दिया।

उत्तराखंड के सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो यहां 1546 भुतहा गांव हैं। इनमें भी 650 ऐसे गांव और तोक ऐसे हैं, जहां वर्तमान समय में आबादी आधी भी नहीं रह गई है। अधिकांश गांव में सिर्फ बुजुर्ग ही बचे हैं। बच्चे और युवा गिनती मात्र के हैं। राज्य के पिथौरागढ़ जिले में ऐसा ही तोक है कोरलताड़ा। सड़क से लगभग आठ किमी दूर स्थित इस तोक में 75 साल के हीरा बल्लभ अपनी पत्नी हरिप्रिया के साथ रहते हैं। इस गांव में इन बुजुर्ग दंपति के सिवा कोई तीसरा कोई इंसान नहीं रहता।

हीरा बल्लभ बताते हैं साल 1990 के बाद से लोगों ने गांव से पलायन करना शुरू किया और धीरे-धीरे सभी चले गए। उन्होंने बताया कि इस तरह से एकाकी जीवन जीते 14 साल से अधिक का समय बीत गया है। आलम ये है कि किसी तीसरे इंसान की सूरत महीनों में दिखती है। हीराबल्लभ बताते हैं तीसरे मनुष्य से बात किये आज 12 दिन हो गए हैं। 12 दिन पहले जंगल के काम से एक व्यक्ति उनके गांव से गुजरा था, तब उससे उनकी बात हुई थी।

एक दिन के लिए भी गांव नहीं छोड़ पाते

हीरा बल्लभ कहते हैं कि अकेले दंपति होने की वजह से न तो वे गांव छोड़ सकते हैं और न ही एक-दूसरे को। वे कहते हैं बीते दो साल से सड़क तक भी नहीं आए। उनकी पत्नी को तीन साल से ज्यादा समय हो गया शहर और कस्बे का मुंह देखे हुए। वे कहते है कि उनकी बहुत ज्यादा जरूरतें भी नहीं हैं। कुछ चीजें वे घर पर ही उगा लेते हैं और बाकी का सारा बाजार का सामान पिथौरागढ़ में रहने वाला बेटा दो-तीन महीने में एक साथ ही पहुंचा देता है।

35 साल तक के युवा तेजी से कर रहे पलायन

पिछले दिनों आई ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग की रिपोर्ट पर गौर करें तो यहां पलायन करने वालों में 26 से 35 साल के युवा अधिक है। बेहतर शिक्षा और रोजगार की तलाश में 42.25% युवाओं ने गांव छोड़कर नजदीकी कस्बों, जिला मुख्यालयों, दूसरे जिलों, राज्य या देश से बाहर रुख किया है और वहीं बस गए।

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