Doon University: …तो इस वजह से दून यूनिवर्सिटी में कभी नहीं पढ़ाई जाती हिंदी और संस्कृत

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देहरादून। उत्तराखंड में स्थित देश में बड़े विश्वविद्यालयों में शुमार दून यूनिवर्सिटी में हिंदी और संस्कृत विषय की पढ़ाई ही कभी नहीं हुई। हालांकि यहां के छात्र हिंदी और संस्कृत पढ़ना चाहते हैं लेकिन यहां ये दोनों सब्जेक्ट पढ़ाये ही नहीं जाते हैं। बता दें कि साल 2009 से लेकर आज तक यहां हिंदी और संस्कृत के टीचर के पद ही स्वीकृत नहीं हुए हैं जिस वजह से यहां न तो हिन्दी पढ़ाई जाती हैं और न ही संस्कृत का कोर्स शुरू किया जा सका है।

Doon University

बताया जा रहा हैं कि इसके लिए बार-बार शासन स्तर पर फाइल भेजी गई, लेकिन आज तक इस पर अप्रूवल नहीं मिल सका जिससे टीचर्स के पद ही स्वीकृत नहीं हो सके। गौरतलब है कि देश की सभी यूनिवर्सिटीज में हिन्दी और संस्कृत अनिवार्य सब्जेक्ट के तौर पर पढाई जाती लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जब से इस यूनिवर्सिटी का संचालन शुरू हुआ हैं तब से यहां हिन्दी लैंग्वेज सब्जेक्ट ही नहीं है।

यही हाल संस्कृत लैंग्वेज का भी है। हांलाकि यूजीसी के नियमों के तहत यहां संस्कृत का सर्टिफिकेट कोर्स पढ़ाया जा रहा है, जिस पर केन्द्र से ही टीचर नियुक्त किया गया है। स्टूडेन्ट्स कहते हैं कि वो इन सब्जेक्ट में पढ़ना चाहते हैं, लेकिन टीचर न होने की वजह से नहीं पढ़ सकते है। वाइस चांसलर सुरेखा डंगवाल कहती हैं कि शासन को प्रस्ताव भेजा गया है लेकिन आज तक फाइल लटकी है।

उन्होंने बताया कि अब नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत प्रयास किया जायेगा ताकि अगले सेशन से लैग्वेज कोर्स में हिन्दी संस्कृत को जोड़ा जा सके। बता दें कि आज तक यूनिवर्सिटी ने इस पर कोई पहल नहीं की या पहल को शासन स्तर पर ही कागज़ों में लटका कर रखा गया हैं ये यह अपने आप में गम्भीर मसला है।

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