पिथौरागढ़। उत्तराखंड में नेपाल बॉर्डर पर बसे इलाके खोतिला में आसमानी आफत ने जमकर तबाही मचाई है लेकिन इसे भगवान की कृपा ही कहेंगे कि सौ से अधिक ग्रामीण खुद की जिंदगी बचने के सफल हो गए। यहां रहने वाले सैकड़ों लोगों ने पल भर की भी देरी की होती तो वे सबके के सबके मौत के मुंह में समा गए होते। बताया जा रहा है कि नेपाल में बादल फटने से खोतिला में 50 के करीब आशियाने पूरी तरह जमींदोंज हो गए है। मलबे में दबे घरों को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां वक्त हालात कितने भयावह रहे होंगे लेकिन खोटीला के लोगों ने हिम्मत नही हारी। रात के घुप्प अंधेरे में बरसी आसमानी आफत के बीच से 3 सौ से अधिक ग्रामीण वहां से बच कर निकलने में कामयाब रहे।
आसमानी कहर के बीच खोतिला से अपने परिवार को निकालने विपिन चंद्र ने बताया कि नेपाल में बादल फटने के महज 2 से 4 मिनट के बीच में ही काली नदी ने यहां मौजूद 60 से अधिक घरों को अपनी जद में ले लिया था। वहीं यहां हो रही भारी बारिश को देखते हुए ग्रामीणों को भी अंदाजा हो चुका था कि कुछ अनहोनी हो सकती है इसीलिए अधिकांश ग्रामीण पूरी तरह अलर्ट मोड पर थे। आपदा से अपने परिवार को बचाने वाली अनिता बता रही है कि उन्हें समझ ही नहीं आ रहा है कि इतनी बड़ी त्रासदी से उनका पूरा परिवार सुरक्षित कैसे बच निकला। लेकिन अब उनकेऔर उनके परिवार समेत अन्य सभी लोगों के सामने भविष्य की चुनौती है।
अनिता सहित अन्य लोगों के घर और घर में मौजूद जिंदगी भर की पूंजी काली नदी में समा गई है। बता दें कि रात के अंधेरे में रौद्र रूप धारण कर चुकी काली से बच पाना आसान नही था। खोतिला में जिस वक्त आसमानी आफत बरसी थी उस वक्त कई लोग गहरी नींद में सोये हुए थे । वहीं कुछ लोगों की सक्रिय थे जिससे 3 सौ लोगों की जिंदगी बच गई। आपदा प्रभावित लोग अब भले ही राहत शिविरों में है, लेकिन आगे क्या होगा इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।



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