इटावा में मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त, फ्रेट कॉरिडोर की सुरक्षा में उजागर हुईं कई खामियां

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इटावा में मालगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त, फ्रेट कॉरिडोर की सुरक्षा में उजागर हुईं कई खामियां.

इटावा. उत्तर प्रदेश के इटावा (Etawah) जिले के जसवंतनगर इलाके के राजपुर गांव के पास डीएफसी के डाउन ट्रेक पर मालगाड़ी पलटने के बाद इंडियन रेलवे ने मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है. फ्रेट कॉरिडोर क्षतिग्रस्त होने के चलते डीएफसीसी (Dedicated Freight Corridor Corporation) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी अपनी कई टीमों के साथ पहुंच चुके हैं और ट्रैक के मरम्मत का काम शुरू करा दिया है. देर रात तक ट्रैक खाली होने की उम्मीद है. ट्रेक को दुरुस्त करने में करीब 250 से 300 लोगों के लोग लगे हुए हैं.

दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग के बगल में मालगाड़ी के लिये बने डेडिकेटिड फ्रेट कारिडोर पर बड़ा हादसा हो गया था, जिसमें गाज़ियाबाद से कानपुर जा रही 43 डिब्बों की मालगाड़ी के 7 डिब्बे पलट गए थे और 17 डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे. मालगाड़ी में लोहे की भारी स्लीपर लदे हुए थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि लोहे के स्लीपर खुल कर गिर जाने से मालगाड़ी का संतुलन बिगड़ गया और गाड़ी पलट गई.

मालगाड़ी के डिरेल होने पर कई खामियों पर गई नजर

बता दें डीएफसीसी यानी डेडीकेटिड फ्रेट कॉरीडोर कारपोरेशन मालगाड़ी रेलवे ट्रैक अभी सुरक्षित नहीं है. दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक के समानांतर इस ट्रैक पर कई खतरनाक स्थानों पर फेनसिग तक नहीं है. इससे हाईस्पीड इस ट्रैक पर हर समय खतरा मंडराता है. सोमवार को मालगाड़ी के डिरेल होने पर सभी की कई खामियों पर नजर गई. मालगाड़ी ज्यादा स्पीड में होती और वैगन दिल्ली-हावड़ा ट्रैक तक पहुंच जाते काफी भयावह हालात हो सकते थे. डीएफसीसी को इस हादसे से सबक लेकर ट्रैक पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए.

दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक आ सकता था जद में

डीएफसीसी के मालगाड़ी रेलवे ट्रैक पर जिस स्थान पर मालगाड़ी डिरेल हुई है, उससे मुश्किल से 10 मीटर की दूरी पर दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक पर ट्रेनें दौड़ रही थीं. उनमें अधिकतर यात्री ट्रेनें दौड़ रही थीं. मालगाड़ी के वैगन उस ट्रैक से महज दो-तीन मीटर की दूरी पर गिरे. इससे हादसा बाल-बाल बच गया जबकि डीएफसीसी के अप और डाउन दोनों प्रभावित ही नहीं हुए बल्कि करीब 500 मीटर की दूरी में ट्रैक भी काफी क्षतिग्रस्त हुआ है.

ओवरब्रिज पर खड़े हो रहे सवाल

डीएफसीसी के अधिकारी किस कदर संवेदनशील हैं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण उस समय मिला जब घटना की सूचना पाकर एसडीएम जसवंतनगर नंदराम मौर्य तथा सीओ जसवंतनगर राजीव प्रताप सिंह फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे. वहां से ग्रामीणों की भीड़ को हटवाया लेकिन दो घंटे बीत जाने के बावजूद डीएफसीसी के आला अधिकारी मौके पर नहीं आए. डीएफसीसी ने जसवंतनगर से इकदिल के मध्य हाईवे तथा अन्य मार्गों पर कई ओवरब्रिज बनाए हैं. इनमें एक भी ओवरब्रिज मानक के अनुरूप नहीं हैं.

सड़क के धरातल से कई फीट नीचे होने से अक्सर जलभराव के हालात रहते हैं. बारिश के दौरान कई पुलों में जलभराव से आवागमन बंद हो जाता है. इन पुलों पर फेनसिग भी नहीं कराई गई है, इससे ओपन रेलवे ट्रैक सड़कों पर आवागमन करने वालों के सदैव खतरनाक बने हुए हैं.

जसवंतनगर के उपजिलाधिकारी नंदप्रकाश मौर्य का कहना है कि डीएफसीसी के उच्चाधिकारियों को इस ट्रैक की सुरक्षा व्यवस्था कराने के लिए अवगत कराया जाएगा. डीएफसीसी को सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा.

 

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